Tuesday 18 October 2011

ज़िन्दगी समझोतों से कैसे भरी है ?


ज़िन्दगी केवल मौज मस्ती का नाम नहीं है ! इसमे दुःख और निराशा का भी सामना करना पड़ता है !
ज़िन्दगी में ऐसी घटनाएँ भी घटती है , जिसके बारे में हमने सोचा तक नहीं होता है ! कई बार हर चीज़ उलट- पलट हो जाती है !
अच्छे लोगो के साथ भी बुरी घटनाएँ घाट जाती है ! कुछ चीज़े हमारे काबू से बहार होती है ,जैसे की अपाहिज होना ,शरीर में कोई जन्मजात दोष होना !
हम अपने माँ- बाप ,या पैदा होने के वक़्त के हालत को तो नहीं चुन सकते , अगर तकदीर ने हमारे साथ नाइंसाफी की है तो ,मुझे अफ़सोस है !
लेकिन ऐसा हो ही गया है , तो अब हम क्या करेंगे - चीखेंगे -चिल्लाएँगे ,या तकदीर की चुनोती को मंजूर  करते हुएआगे बढ़ेंगे ? यह चुनाव हमको करना है !
किसी साफ दिन में हमको झील में सैकड़ो नावे तैरती दिखाई देंगी ! हर नाव अलग दिशा में जा रही होती है ! हवा के एक ही दिशा में बहने के बावजूद नावे
अलग अलग दिशाओ में जा रही होती है ! क्यों ? इसलिए की उनमे पाल को उसी ढंग से लगाया जाता है और इसका फैलाव नाविक करता है !
यही बात हमारी ज़िन्दगी पर लागू होती है ! हम हवा के बहाव की दिशा तो नही चुन सकते ,पर पाल लगाने का ढंग चुन सकते है !
सेहत ख़ुशी और सफलता ,हर आदमी के जूझने की क्षमता पर निर्भर होती है ! बड़ी बात यह नहीं कि हमारी ज़िन्दगी में क्या घटित होता है ,बल्कि यह है कि जो घटित होता है ,हम उसका सामना कैसे करते है !
अपने हालात को चुनना तो हमेशा हमारे बस में नहीं होता , लेकिन अपना नजरिया हम हमेशा चुन सकते है ! यह हमारा अपना चुनाव होता है ,कि  विजेता कि तरह व्यवहार करे ,
या पराजित कि तरह ! हमारी किस्मत हमारे मुकाम से नहीं बल्कि मिजाज से तय होती है ..
इन्द्रधनुष के बनने के लिय बारिश और धुप दोनों कि जरुरत होती है !हमारी ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है ! उसमे सुख है तो दुःख भी है , अच्छाई है, तो बुराई भी है , और उजाला है तो ,
अँधेरा भी है ! जब मुसीबत का सामना सही तरीके से करते है ,तो और मजबूत बन जाते है ! हम अपनी ज़िन्दगी की सभी घटनाओ पर तो नियंत्रण नहीं कर सकते , पर उनसे निपटने के तरीके पर हमारा नियंत्रण होता है !
रिचर्ड ब्लेशनिड़ेन और सेंट लुईस विश्व मेले में भारतीय चाय का प्रचार करना चाहते थे ! वहां काफी गर्मी थी ! इसलिए उनकी चाय कोई नहीं पीना चाहता था ! उसी बिच उन्होंने देखा कि ठन्डे पेय पदार्थ की खूब बिक्री हो रही थी !
उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न अपनी चीनी मिला कर उसे ठन्डे ड्रिंक के रूप में बेचे ! उन्होंने ऐसा ही किया , और लोगो ने उनकी ड्रिंक को खूब पसंद किया !
दुनिया में ठंडी चाय का प्रचलन वाही से शुरू हुआ ! आदमी कोई बंजफल नहीं है ,जिसके पास कोई विकल्प नहीं होता ! बंजफल खुद यह तय नहीं कर सकता है ! अगर हमारे पास निम्बू हो तो हम उसे आँख में डाल कर चीख चिल्ला सकते है , और उनकी शिकंजी बना कर भी पी सकते है !
अगर हालात बिगड़ जाएँ (कभी ना कभी ऐसा होता ही है ) तो यह हम पर निर्भर होता है कि उनका सामना जिम्मेदारी से करे या खिजते हुए करे !
राजू सीरवी (राठौड़ )

 

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