Saturday 29 October 2011

::हमदर्द बने::


एक बच्चा पालतू जानवरों की दुकान में एक पिल्ला खरीदने गया ! वहाँ चार पिल्लै साथ बैठे थे ,जिसमे से हर एक की कीमत २५०० रुपये थी ! एक पिल्ला कोने में अकेला बैठा हुआ था !
उस बच्चे ने जानना चाहा कि क्या वह उन्ही बिकाऊ पिल्लो में से एक है ,और वह अकेला क्यों बैठा है ? दुकानदार ने जवाब दिया कि वह उन्ही में से एक है पर अपाहिज है ,और बिकाऊ नहीं है !
बच्चे ने पूछा :-उसमे क्या कमी है ? दुकानदार ने बताया कि जन्म से ही उस पिल्लै कि एक टांग बिलकुल ख़राब है ,और उसकी पूंछ के पास के अंगो में भी खराबी है ! बच्चे ने पूछा ,आप इसके साथ क्या करेंगे ?
तो उसका जवाब था कि इसे हमेशा के लिए सुला दिया जायेगा ! उस बच्चे ने दुकानदार से पूछा कि क्या वह उस पिल्लै के साथ खेल सकता है !
दुकानदार ने कहा ,क्यों नहीं ! बिलकुल खेल सकते हो | बच्चे ने पिल्लै को गोद में उठा लिया ,और पिल्ला उसके कान को चाटने लगा | बच्चे ने उसी समय फैसला किया कि वह उसी पिल्लै को खरीदेगा | दुकानदार ने कहा ,यह बिकाऊ नहीं है ,मगर बच्चा जिद्द करने लगा |इस पर दुकानदार मान गया | बच्चे ने दुकानदार को २०० रुपये दिए और बाकी कि धनराशी लेने अपनी माँ के पास दौड़ा | अभी वह दरवाजे तक ही पहुंचा था कि दुकानदार ने जोर से कहा ,मुझे समझ में नहीं आता कि तुम इस पिल्लै के लिए इतने रुपये क्यों खर्च कर रहे हो ,जबकि तुम इतने ही रुपयों में एक अच्छा पिल्ला खरीद सकते हो | बच्चे ने कुछ नहीं कहा |
उसने अपने बाएँ पैर से पैंट उठाई , उस पाँव में उसने ब्रेस पहन रखी थी | दुकानदार ने कहा ;मैं समझ गया तुम इस पिल्लै को ले जा सकते हो |
इसी को दूसरो कि भावनाएँ समझना कहते है |
जब आप दुःख बंटते है तो यह काम हो जाता और जन आप सुख बंटते तो यह बढ़ जाता है
:-राजू सीरवी (राठौड़)

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